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संस्था का उद्देश्य मुख्य

संपूर्ण प्रदेश के गरीब असहाय बच्चों को शिक्षा से जोड़ना सामाजिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक क्रिया - कलापों के माध्यम से बच्चों में शिक्षा के प्रति रूचि उत्पन्न करते हुए निःशुल्क शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराना है ।
इस संस्था के समग्र विकास के लिए हर प्रबुद्ध वर्ग के सम्मानित नागरिकों से निवेदन करती हूँ कि संपूर्ण उत्तर प्रदेश के गांव में प्रत्येक गरीब बच्चों को यदि निःशुल्क कॉपी, कलम, पुस्तक एवं ज्ञानवर्धक वस्तुएं उपलब्ध करा दिया जाये तो ये बच्चे शिक्षा से जुड़ जायेंगे जिससे इनका विकास होगा इस कार्य में आपका सहयोग अपेक्षित है ।
शिक्षा समाज का आधार है बच्चों को शिक्षित करने में रूचि लेने हेतु मैं सभी मित्रगण देशवाशियों से अपील करती हूँ, कि इस संस्था से जुड़े आप सभी को मैं विश्वास दिलाती हूँ, कि आपके सहयोग से गरीब बच्चों का सकरात्मक, भावात्मक, एवं सृजनात्मक विकास होगा ।
एक गरीब बच्चे को विषय के आधार पर कॉपी, कलम, पेंसिल, रबर, क़तर, ड्राईंगबॉक्स, आदि । वस्तुएं निःशुल्क में प्रदान करने में 101 - रुपया खर्च पड़ता है । संस्था के खाते में कम से कम 101 रुपया देकर गरीब बच्चों को शिक्षित बनानें में पुण्य के भागी बनें ।

स्मृति पत्र

हमारी आत्मा परमात्मा में सदा विराजमान रहे मैं सदा देश की सेवा करती रहूं हमारा कर्मसेवा हो हमारा धर्म सेवा हो सदा ईमान सेवा हो हे मां मैं सदा गांव के बच्चों को कॉपी , कलम , पेंसिल, रबर, क़तर , ड्राईंगबॉक्स सदा वितरित कराती रहूं , ऐसी हमपर सदा आप कृपा बनायें रखें और गरीब बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रेरित कराती रहूं ।
जबतक मेरे अंदर प्राण रहे तबतक मैं सदा गरीब की सेवा करती रहूं जीवन में सत्य का साथ देती रहूं और देश की सेवा करती रहूं जिससे मेरा जीवन सफल हो सके-
एक दिन की बात है मैं ब्रत थी उस समय नवरात्रि का समय था जब मैं कन्याओं को भोजन प्रसाद करा रही थी तो उनको दान देने की बात आई तो मेरे अंदर की आत्मा जागी जैसे की मां कुछ कह रही हैं कि गांव के बच्चों को कॉपी पेन कि जरूरत है क्योंकि बच्चे पढ़ लिख नहीं पा रहे हैं , क्योंकि ये सब गांव के गरीब बच्चे हैं इनकी सेवा करूंगी तो मैं मां विंध्यवासिनी मेरी हर मनोकामना अवश्य पूरा करेंगी, फिर उसी समय मैं नौ दुर्गा की कसम खाई कि मैं आज के बाद गरीब बच्चो कि सेवा करूंगी मां कहती हैं कि हमें किस बात कि कमी है देना है तो इन बच्चों जो गरीबी कि वजह से पढ़ नहीं पा रहे हैं मेरे परिवार वाले बोले कि जैसी मां कि इच्छा है वैसी तुम करो ।

ज्ञानवर्धक वस्तुएं वितरण

गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए ज्ञानवर्धक वस्तुओं एवं वस्त्रों को मुफ्त में देना ।

कार्यक्रमों का आयोजन

सामाजिक, धार्मिक, एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन एवं संचालन करना ।

शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था

गरीब एवं असहाय बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।

असहाय बच्चों को शिक्षा से जोड़ना

संपूर्ण प्रदेश के गरीब असहाय बच्चों को शिक्षा से जोड़ना सामाजिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक क्रिया - कलापों के माध्यम से बच्चों में शिक्षा के प्रति रूचि उत्पन्न करते हुए निःशुल्क शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराना है ।

सम्मानित नागरिकों से निवेदन

इस संस्था के समग्र विकास के लिए हर प्रबुद्ध वर्ग के सम्मानित नागरिकों से निवेदन करती हूँ कि संपूर्ण उत्तर प्रदेश के गांव में प्रत्येक गरीब बच्चों को यदि निःशुल्क कॉपी, कलम, पुस्तक एवं ज्ञानवर्धक वस्तुएं उपलब्ध करा दिया जाये तो ये बच्चे शिक्षा से जुड़ जायेंगे जिससे इनका विकास होगा इस कार्य में आपका सहयोग अपेक्षित है ।

शिक्षा समाज का आधार

शिक्षा समाज का आधार है बच्चों को शिक्षित करने में रूचि लेने हेतु मैं सभी मित्रगण देशवाशियों से अपील करती हूँ, कि इस संस्था से जुड़े आप सभी को मैं विश्वास दिलाती हूँ, कि आपके सहयोग से गरीब बच्चों का सकरात्मक, भावात्मक, एवं सृजनात्मक विकास होगा ।

आप भी इस प्रकार मदद कर सकते हैं

एक गरीब बच्चे को विषय के आधार पर कॉपी, कलम, पेंसिल, रबर, क़तर, ड्राईंगबॉक्स, आदि । वस्तुएं निःशुल्क में प्रदान करने में 101 - रुपया खर्च पड़ता है । संस्था के खाते में कम से कम 101 रुपया देकर गरीब बच्चों को शिक्षित बनानें में पुण्य के भागी बनें ।

आजीवन सदस्य बनकर

संस्था को 1001/- रु० की नगद धनराशि या उससे अधिक मूल्य कि चल अचल संपत्ति एक बार में भुगतान करके ।

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सामान्य सदस्य बनकर

संस्था को 51/- रु० की नगद धनराशि वार्षिक सदस्यता शुल्क के रूप में भुगतान करके ।

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संरक्षक सदस्य बनकर

संस्था के हिट में तन, मन और धन से पूर्णरूपेण सहयोग प्रदान करके, संस्था के प्रबंधसमिति के 2/3 बहुमत से संरक्षक सदस्य मनोनीत कर लिए जायेंगे ।

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हमारे स्वयंसेवक

एक गरीब बच्चे को विषय के आधार पर कॉपी, कलम, पेंसिल, रबर, क़तर, ड्राईंगबॉक्स, आदि । वस्तुएं निःशुल्क में प्रदान करने में 101 - रुपया खर्च पड़ता है । संस्था के खाते में कम से कम 101 रुपया देकर गरीब बच्चों को शिक्षित बनानें में पुण्य के भागी बनें ।

श्रीमती रागिनी शुक्ला

(संस्थापिका व अध्यक्ष)

ग्राम- राजपुर, पोस्ट- राजपुर, जिला- वाराणसी ।

श्री प्रियेश शुक्ला

(प्रबंधक)

ग्राम- निमनी, पोस्ट- सकलपुर, जिला- वाराणसी ।

श्रीमती तृप्ति शुक्ला

(कोषाध्यक्ष)

ग्राम- निमनी, पोस्ट- सकलपुर, जिला- वाराणसी ।

लोग क्या कहते हैं-

गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए ज्ञानवर्धक वस्तुओं एवं वस्त्रों को मुफ्त में देना एक पुण्य का काम है कृपया इसमें भागीदार बनें ।

क्या आप एक बेहतर दुनिया बनाना चाहते हैं?

गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए ज्ञानवर्धक वस्तुओं एवं वस्त्रों को मुफ्त में देना एक पुण्य का काम है कृपया इसमें भागीदार बनें ।
संस्था के खाते में कम से कम 101 रुपया देकर गरीब बच्चों को शिक्षित बनानें में पुण्य के भागी बनें ।

यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया

खाता संख्या- 487702010023781
आई एफ एस सी कोड- UBIN0548774